एक अंधा व्यक्ति अपने एक घनिष्ट मित्र के घर अधिकतर मिलने जाया करता था। एक बार उसको बहुत दिन हो गये। कुछ दिनों के बाद एक दिन वह अपने मित्र के घर पहुँचा। दरवाजा खटखटाया, उसका मित्र नहीं था, अंदर से उसके मित्र की पत्नी ने आवाज दी। यह जानकर कि वही अंधा मित्र आया है पत्नी ने उसे बैठने को कहा। अंधा मित्र अंदर आकर बैठ गया।
मित्र की पत्नी अंदर आंगन में खुले में स्नान कर रही थी। उसने सोचा कि पति का मित्र अकेले बैठे बोर हो रहा होगा क्यों न उसको यहीं बुला कर बातचीत भी करते जायें और स्नान भी करते जायें। वैसे भी वह देख तो सकता नहीं है, ऐसा सोच कर पत्नी ने उसको अंदर बुला लिया।
कुछ इधर-उधर की बातों के बाद पत्नी ने पूछा कि ‘‘इस बार आप बहुत दिन बाद आये, क्या कहीं बाहर चले गये थे?’’
उस न देख सकने वाले मित्र ने बड़ी ही मासूमियत से जवाब दिया, ‘‘हाँ, अपनी आँखों का आपरेशन करवाने चले गये थे। अब हमें दिखायी पड़ने लगा है।’’
अब दिखाई देने लगा है...
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9 टिप्पणियां:
हा हा!! बताईये, हद ही हो ली!!!
:):):):)::);)
ये आपने कबसे शब्द पुष्टिकरण लगा liya , आप तो ऐसे न थे :)
Uff!
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
Ha ha!
वैसे ये बात हज़म नहीं हुई
हा..हा..हा.. पहले क्यूँ नहीं बताया !!!
Accha prayaas hai, Welcome.
Achchha prayas.
क्षमा करें ,स्त्री चुटकुलों में भी इतनी निर्लज्ज या असावधान नहीं होती ।
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